चबूतरा है न शेड, नए 260 केंद्रों में खुले आसमान के नीचे रखे जाएंगे धान
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रायपुर, प्रदेश के लगभग 260 नए धान उपार्जन केंद्रों में बिना चबूतरा और शेड निर्माण के ही खुले आसमान के नीचे धान खरीदी होगी। धान खरीदी के लिए नए केंद्रों की स्वीकृति देने में की गई देरी का खामियाजा अब सामने आ रहा है। गांव में उपार्जन केंद्रों के लिए स्थल चिन्हांकित तो कर दिया गया है, लेकिन चबूतरा और शेड के अलावा पेयजल, बैठक व्यवस्था, विद्युतीकरण, बाउंड्रीवाल, डाटाएंट्री कक्ष आदि की सुविधा नहीं है। ऐसे में धान बेचने के लिए पहुंचने वाले किसानों को न केवल असुविधा होगी बल्कि खरीदी के दौरान बरसाती मार से धान भी भीगेंगे। राज्य सरकार ने एक दिसंबर से धान खरीदी करने का निर्णय लिया है। गतवर्ष से 2 लाख 49 हजार ज्यादा किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है। नवीन केंद्रों में शेड के अलावा ड्रेनेज के लिए चबूतरें की भी सुविधा नहीं हैं। किसानों को धान बेचने के लिए लंबी दूरी तय करनी न पड़े इसलिए नए उपार्जन केंद्रों की वर्षों से मांग की जा रही थी। समय रहते नए केन्द्रों कि स्वीकृति दे दी जाती तो संभवत: यहां समुचित व्यवस्था किया का सकता था । अचानक स्वीकृति का निर्णय लिए जाने से वैकल्पिक सुविधाओं के भरोसे ही धान खरीदी करनी पड़ेगी। धान खरीदी और डंपिंग करने के लिए गांव से बाहर धान संग्रहण स्थल चिन्हांकित किए गए हैं। जहां समतलीकरण भी नहीं किया गया है। गांव के लोगों को पहले दूर जाना पड़ता था। केंद्र शुरू होने से गांव के किसानों में प्रसन्ना्ता है, लेकिन समय रहते स्वीकृति दे दी जाती तो व्यवस्थित जगह में चबूतरा और शेड भी बन सकता था। खरीदी के लिए गिनती के ही दिन शेष रह गए हैं। मौसमी उतार-चढ़ाव अभी से शुरू हो गया है। बारिश के दौरान यहां धान भीगने की संभावना है। चबूतरा शेड की कमी केवल नए केंद्र ही में नहीं बल्कि पुराने में भी है। शहर से लगे कनबेरी उपार्जन केंद्र में अभी तक शेड की सुविधा नहीं है।